जेएनयू में बढ़ाई गई फीस हो सकती है वापस
नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय कैंपस में हॉस्टल मैनुअल पर पिछले 28 अक्तूबर से मचा विवाद जल्द खत्म होने की संभावान है। जेएनयू के आंदोलनरत छात्रों को शांत करने के लिए सरकार बढ़ाई गई फीस में आंशिक रोलबैक कर सकती है। सरकार की ओर से छात्रों की दिक्कतों को समझते हुए सोमवार या मंगलवार तक राहत देने की संभावना है। वहीं, जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आईषी घोष का कहना है कि शुक्रवार को कैंपस में केंद्र सरकार की समिति के समक्ष पहले हॉस्टल मैनुअल को पूरी तरह से रोलबैक की मांग की जाएगी। इसके बाद नया हॉस्टल मैनुअल बनाने पर सहमति दी जाएगी। हालांकि उसमें विश्वविद्यालय प्रबंधन को छात्रसंघ को भी शामिल करना होगा।
जेएनयू कैंपस में शाम चार बजे मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा हॉस्टल मैनुअल पर गठित तीन सदस्यीय समिति और छात्रसंघ समेत आम छात्रों के साथ बैठक आयोजित होगी। इसी बैठक पर जेएनयू हॉस्टल मैनुअल पर उठा विवाद समाप्त होने की भी संभावना है। क्योंकि इसी बैठक में छात्रसंघ अपनी पूरी मांग रखेगा। सूत्रों के मुताबिक, कमेटी बैठक के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी। इसी पर आगामी पांच से छह दिनों में राहत का फैसला होने की संभावना है। दरअसल सरकार छात्रों को नाराज नहीं करना चाहती है पर इस प्रकार के आंदोलनों के माध्यम से किसी भी फैसले को वापस लेने की परंपरा शुरू करने के हक में भी नहीं है।
कुलपति छात्रसंघ से बात करते तो नहीं होता विवाद: छात्रसंघ
जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आईषी घोष ने अमर उजाला को बताया कि कुलपति प्रो. एम जगदीश कुमार हॉस्टल मैनुअल पर छात्रसंघ से बात करते तो ऐसा विवाद नहीं होता। हम भी मानते हैं कि जेएनयू में हॉस्टल फीस बेहद कम है। दस रुपये में आज के दौर में कुछ नहीं आता है। हालांकि बात करने का एक ढंग होता है। हम शुक्रवार को सबसे पहले समिति से हॉस्टल मैनुअल रोलबैक की मांग करेंगे। इसके बाद हम चाहते हैं कि विश्वविद्यालय प्रबंधन, हॉस्टल कमेटी छात्रसंघ को शामिल करते हुए नया हॉस्टल मैनुअल तैयार करें, ताकि छात्रसंघ आम छात्रों को फीस बढ़ाने का सही तर्क दे सके। यह नहीं कि दस रुपये फीस को सीधे तीन सौ रुपये तक बढ़ा दिया जाए। घोष के मुताबिक, मानव संसाधन विकास मंत्रालय व यूजीसी की ओर से विश्वविद्यालय को मिलने वाले फंड में कोई कटौती नहीं की गई है। ऐसे में जेएनयू प्रशासन किस आधार पर पैसे की कमी की बात कह रहा है। पैसे की दिक्कत है तो उस समस्या का हल भी मिल बैठकर निकाला जा सकता है। छात्रों का विरोध फीस बढ़ाना नहीं, बल्कि एक साथ 999 फीसदी बढ़ोतरी था। ऐसे में कई छात्र पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर हो जाते। विश्वविद्यालय प्रबंधन पैसे की कमी और हॉस्टल फीस बढ़ोतरी पर छात्रसंघ के साथ आम छात्रों से बात करता तो यह विवाद उत्पन्न ही नहीं होता।
हॉस्टल मैनुअल रोलबैक के बगैर कैंपस नहीं होगा सामान्य: शिक्षक संघ
जेएनयू शिक्षक संघ के 13 सदस्यों और तीन सदस्यीय समिति की बृहस्पतिवार को मंत्रालय में बैठक हुई। संघ ने बैठक में विश्वविद्यालय प्रशासन के कामकाज पर सवाल उठाते हुए जेएनयू एक्ट के तहत काम न करने का आरोप लगाया है। जेएनयू शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो. डीके लोबियाल के मुताबिक, समिति के समक्ष तीन बिंदुओं पर फोकस किया गया। हॉस्टल मैनुअल को रोलबैक के बगैर किसी भी तरह कैंपस सामान्य नहीं हो सकता है। उन्हंोंने बताया कि प्रशासन की फिजुलखर्ची के चलते विश्वविद्यालय में पैसे की कमी आई है।