एम्स में अब बिना चीर-फाड़ होगा पोस्टमार्टम, वर्चुअल ऑटोप्सी तकनीक होगा संभव
एम्स एक ऐसी टेक्नोलॉजी बनाने की कोशिश कर रहा है, जिसकी मदद से पोस्टमार्टम के काम में शवों की चीरफाड़ की जरूरत नहीं रहेगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली का अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान यानी (एम्स) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) संयुक्त रूप से शरीर के विच्छेदन के बिना ही पोस्टमार्टम करने की तकनीक पर काम कर रहे हैं और अगले छह महीनों के भीतर इस तरीके से काम शुरू हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारत दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में वर्चुअल ऑटोप्सी या आभासी शव परीक्षण अपनाने वाला पहला देश है।
उन्होंने कहा कि आईसीएमआर और एम्स ने विश्व में इस दिशा में हो रहे कामकाज का अध्ययन किया है और मृत शरीर के गरिमापूर्ण प्रबंधन के लिए इस परियोजना को अपनाया है। मंत्री ने कहा कि मृतक के परिवार के सदस्यों को पोस्टमॉर्टम के पारंपरिक तरीके से असहज महसूस होता है। उन्होंने कहा कि सभी रिकॉर्ड समीक्षा के लिए डिजिटल रूप से संग्रहीत किए जाएंगे।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह नई तकनीक लागत में कमी तो लाएगी साथ ही इसमें कम समय लगेगा। सामान्य शव परीक्षण में ढाई घंटे के मुकाबले एक शव परीक्षण पूरा करने में केवल 30 मिनट का समय लगेगा।
मंत्री ने कहा कि आईसीएमआर ने इस उद्देश्य के लिए एम्स को 5 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं। अभी इसे केवल एम्स दिल्ली में शुरू किया जा रहा है, लेकिन बाद में इस तकनीक को देश के अन्य संस्थानों को मुहैया कराया जाएगा।