दिल्ली एम्स ने बनाया कीर्तिमान, पहली बार एक साल में किए दो लाख से ज्यादा ऑपरेशन
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने एक बार फिर नया रिकॉर्ड कायम कर दिया है। एम्स ने पहली बार एक साल में 2 लाख से ज्यादा मरीजों के ऑपरेशन किए हैं। अभी तक देश ही नहीं, बल्कि अमेरिका, चीन और जापान तक के किसी भी अस्पताल में 2 लाख ऑपरेशन सालाना नहीं हुए हैं। शुक्रवार को आई एम्स की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार बीते एक साल में 2,01,792 ऑपरेशन हुए हैं।
वहीं सालाना ओपीडी में मरीजों की संख्या 12.41 फीसदी कम हुई है। मुख्य ओपीडी में मरीजों की संख्या 20.68 फीसद तक कम हो गई है। एम्स की ओपीडी में कुल 38 लाख 14 हजार 726 मरीजों का इलाज हुआ।
जबकि वर्ष 2017-18 में यह आंकड़ा 43 लाख 55 हजार 338 थी। हालांकि एम्स के कैंसर, हार्ट, डेंटल, ट्रॉमा सेंटर और झज्जर में बने केंद्रों पर ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या में वृद्घि हुई है।
इसके अलावा पिछले वर्षों की तुलना में एम्स में संक्रमण की स्थिति पहले से सुधारी है। वर्ष 2017-18 में एम्स के मुख्य अस्पताल में संक्रमण 6 फीसदी की दर से था लेकिन वर्ष 2018-19 के दौरान ये घटकर 5.8 फीसदी हुआ है। जबकि अस्पताल में प्रति मरीज रुकने की अवधि में वृद्घि देखने को मिली है। एम्स में प्रति मरीज रुकने की अवधि 9.3 से बढ़कर 9.5 दिन हो चुकी है।
इसके अलावा हार्ट व न्यूरो सेंटर में औसत बिस्तर अधिभोग (ऑक्यूपेंसी) दर में कमी आई है। ये दर 87.9 से कम होकर 84.9 फीसदी हो चुकी है। एम्स ट्रॉमा सेंटर में पहले 68 से बढ़कर 80 फीसदी बिस्तर वर्ष भर भरे रहने की स्थिति देखने को मिली है।
वहीं सालाना ओपीडी में मरीजों की संख्या 12.41 फीसदी कम हुई है। मुख्य ओपीडी में मरीजों की संख्या 20.68 फीसद तक कम हो गई है। एम्स की ओपीडी में कुल 38 लाख 14 हजार 726 मरीजों का इलाज हुआ।
जबकि वर्ष 2017-18 में यह आंकड़ा 43 लाख 55 हजार 338 थी। हालांकि एम्स के कैंसर, हार्ट, डेंटल, ट्रॉमा सेंटर और झज्जर में बने केंद्रों पर ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या में वृद्घि हुई है।
इसके अलावा पिछले वर्षों की तुलना में एम्स में संक्रमण की स्थिति पहले से सुधारी है। वर्ष 2017-18 में एम्स के मुख्य अस्पताल में संक्रमण 6 फीसदी की दर से था लेकिन वर्ष 2018-19 के दौरान ये घटकर 5.8 फीसदी हुआ है। जबकि अस्पताल में प्रति मरीज रुकने की अवधि में वृद्घि देखने को मिली है। एम्स में प्रति मरीज रुकने की अवधि 9.3 से बढ़कर 9.5 दिन हो चुकी है।
इसके अलावा हार्ट व न्यूरो सेंटर में औसत बिस्तर अधिभोग (ऑक्यूपेंसी) दर में कमी आई है। ये दर 87.9 से कम होकर 84.9 फीसदी हो चुकी है। एम्स ट्रॉमा सेंटर में पहले 68 से बढ़कर 80 फीसदी बिस्तर वर्ष भर भरे रहने की स्थिति देखने को मिली है।
इस बार एम्स में बेटियां हुईं कम पैदा
एम्स में वर्ष 2018-19 के दौरान 2448 बच्चों ने जन्म लिया है जिसमें 1286 लड़के और 1159 बेटियां, तीन थर्डजेंडर शामिल हैं। जबकि वर्ष 2017-18 के दौरान 2495 बच्चों ने जन्म लिया था जिसमें बेटियों की संख्या 1209 थी। बीते एक वर्ष में 27142 लड़के और 13024 बच्चियों को एम्स में भर्ती किया गया।
एम्स में सबसे ज्यादा कैंसर मरीजों की हुई मौत
पिछले एक साल की स्थिति पर नजर डालें तो एम्स में सबसे ज्यादा कैंसर मरीजों की मौत हुई है। बीते एक वर्ष में एम्स के मुख्य कैंसर विभाग में उपचाराधीन 212 मरीजों की मौत हुई है जिसमें से 126 मरीजों ने दाखिला लेने के 48 घंटे के भीतर दम तोड़ दिया। एम्स प्रबंधन के अनुसार ज्यादात्तर मरीज गंभीर अवस्था में एम्स दाखिला लेने पहुंचते हैं ऐसी स्थिति में डॉक्टर के लिए भी काफी चुनौतियां होती हैं। विभागवार मृत्युदर देखें तो सबसे ज्यादा 33.5 फीसदी इसी विभाग की है।
सबसे ज्यादा दिल्ली-यूपी के मरीज हुए भर्ती
दिल्ली एम्स में सबसे ज्यादा दिल्ली और उत्तर प्रदेश के मरीज भर्ती हुए। रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के 53411 और यूपी के 35649 मरीजों को दाखिला दिया। जबकि बिहार के 22414 और हरियाणा के 12363 मरीजों को भर्ती किया है। इनके अलावा झारखंड (3006), उत्तराखंड (2793), राजस्थान (2342), एमपी (1950), पश्चिम बंगाल (1403), जम्मू-कश्मीर (1238), पंजाब (952), ओड़िशा (536), असम (493), छत्तीसगढ़ (471) और अन्य राज्यों से 340 मरीज एम्स में भर्ती हुए। इनके अलावा 275 विदेशियों ने भी दिल्ली एम्स में उपचार के लिए दाखिल लिया।
एम्स की वार्षिक रिपोर्ट :
ओपीडी : 38,14,726
भर्ती: 2,54,605
ऑपरेशन: 2,01,792
मृत्यु औसत दर: 1.7
कुल बिस्तर : 2483
भर्ती रोगियों की मौत : 3179
अस्पताल पहुंचे मृत : 1238
एम्स में सबसे ज्यादा कैंसर मरीजों की हुई मौत
पिछले एक साल की स्थिति पर नजर डालें तो एम्स में सबसे ज्यादा कैंसर मरीजों की मौत हुई है। बीते एक वर्ष में एम्स के मुख्य कैंसर विभाग में उपचाराधीन 212 मरीजों की मौत हुई है जिसमें से 126 मरीजों ने दाखिला लेने के 48 घंटे के भीतर दम तोड़ दिया। एम्स प्रबंधन के अनुसार ज्यादात्तर मरीज गंभीर अवस्था में एम्स दाखिला लेने पहुंचते हैं ऐसी स्थिति में डॉक्टर के लिए भी काफी चुनौतियां होती हैं। विभागवार मृत्युदर देखें तो सबसे ज्यादा 33.5 फीसदी इसी विभाग की है।
सबसे ज्यादा दिल्ली-यूपी के मरीज हुए भर्ती
दिल्ली एम्स में सबसे ज्यादा दिल्ली और उत्तर प्रदेश के मरीज भर्ती हुए। रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के 53411 और यूपी के 35649 मरीजों को दाखिला दिया। जबकि बिहार के 22414 और हरियाणा के 12363 मरीजों को भर्ती किया है। इनके अलावा झारखंड (3006), उत्तराखंड (2793), राजस्थान (2342), एमपी (1950), पश्चिम बंगाल (1403), जम्मू-कश्मीर (1238), पंजाब (952), ओड़िशा (536), असम (493), छत्तीसगढ़ (471) और अन्य राज्यों से 340 मरीज एम्स में भर्ती हुए। इनके अलावा 275 विदेशियों ने भी दिल्ली एम्स में उपचार के लिए दाखिल लिया।
एम्स की वार्षिक रिपोर्ट :
ओपीडी : 38,14,726
भर्ती: 2,54,605
ऑपरेशन: 2,01,792
मृत्यु औसत दर: 1.7
कुल बिस्तर : 2483
भर्ती रोगियों की मौत : 3179
अस्पताल पहुंचे मृत : 1238